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'जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा...', राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिया भाईचारे का संदेश, महिला उत्थान, अर्थव्यवस्था और जी 20 का जिक्र


President Droupadi Murmu Address To Nation: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या (14 अगस्त, 2023) पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के नाम संबोधन दिया. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ''मेरे प्यारे देशवासियो, देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को मेरी हार्दिक बधाई! यह दिन हम सब के लिए गौरवपूर्ण और पावन है. चारों ओर उत्सव का वातावरण देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है.''

राष्ट्रपति ने कहा, ''जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है, लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है, जो इन सबसे ऊपर है और हमारी वह पहचान है भारत का नागरिक होना."

'हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि...'

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ''स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं, जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है. यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है.''

राष्ट्रपति ने इन महानायकों को किया याद

राष्ट्रपति ने कहा, ''हम सभी, समान रूप से, इस महान देश के नागरिक हैं. हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं और हमारे कर्तव्य भी समान हैं.'' राष्ट्रपति ने कहा, ''गांधीजी और अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और हमारी महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया. सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी अनेक महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढ़ियों की महिलाओं के लिए आत्म-विश्वास के साथ, देश और समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं.''

महिलाएं राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं- राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ''आज महिलाएं विकास और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं और राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं. आज हमारी महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है, जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें. मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें.

राष्ट्रपति मुर्मू ने जी-20 का किया जिक्र

उन्होंने कहा, ''भारत पूरी दुनिया में विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. चूंकि G-20 समूह दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का एक अद्वितीय अवसर है.''

'मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था दूसरों के लिए आशा का स्रोत बनी' 

राष्ट्रपति ने कहा, ''देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली जीडीपी ग्रोथ भी दर्ज की है. मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है, बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है. वंचितों को वरीयता प्रदान करना हमारी नीतियों और कार्यों के केंद्र में रहता है. परिणामस्वरूप पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना संभव हो पाया है.''

आदिवासी भाई-बहनों से राष्ट्रपति की अपील

उन्होंने कहा, ''मैं अपने आदिवासी भाई-बहनों से अपील करती हूं कि आप सब अपनी परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता को अपनाएं.'' उन्होंने कहा, ''जरूरतमंदों की सहायता के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पहल की गई है और व्यापक स्तर पर कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. मैं एक शिक्षक रही हूं, इस नाते भी मैंने यह समझा है कि शिक्षा, सामाजिक सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है.''

'हमें बहुत आगे जाना है'

राष्ट्रपति ने कहा, ''चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है. हमें बहुत आगे जाना है.'' उन्होंने कहा, ''अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए, अगले पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये की राशि के साथ सरकार द्वारा अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन स्थापित किया जा रहा है. यह फाउंडेशन हमारे कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केन्द्रों में रिसर्च और डेवलपमेंट को आधार प्रदान करेगा, उन्हें विकसित करेगा और आगे ले जाएगा.''

उन्होंने कहा, ''अंतरराष्ट्रीय सौर-ऊर्जा अभियान को भारत ने नेतृत्व प्रदान किया है. विश्व समुदाय को हमने लाइव यानि लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट का मंत्र दिया है. लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर करती है और अब हमें यह एहसास हो रहा है कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए.''

जलवायु परिवर्तन पर ये बोलीं राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने कहा, ''जनजातीय समुदायों द्वारा युगों से अपना अस्तित्व बनाए रखने के रहस्य को एक शब्द में ही व्यक्त किया जा सकता है. वह शब्द है- हमदर्दी.'' उन्होंने कहा, ''एक क्षेत्र जिस पर पूरे विश्व के वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को और अधिक तत्परता से ध्यान देना चाहिए वह है- जलवायु परिवर्तन. पर्यावरण के हित में स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रयास करना अनिवार्य है.''

'संवैधानिक मूल-कर्तव्य को निभाने का संकल्प लें'

उन्होंने कहा, ''हम सभी अपने संवैधानिक मूल-कर्तव्य को निभाने का संकल्प लें और व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर आगे बढ़ने का सतत प्रयास करें ताकि हमारा देश निरंतर उन्नति करते हुए कर्मठता और उपलब्धियों की नई ऊंचाइयां हासिल करे. आइए, हम अपने राष्ट्र निर्माताओं के सपनों को साकार करने के लिए सद्भाव और भाई-चारे की भावना के साथ आगे बढ़ें.''

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